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2. आप जान लीजिऐ आपकी बहनें भी आपका कभी सहयोग नहीँ करेंगी
रूचि,
मैने बचपन से यह नहीँ सोचा कि मेरी दो बडी बहने हैं
कुछ महाकाल की कृपा है कि पाँच साल की उम्र से
जैसा चाहे अपने दृषटिकोण को बदल सकती हूं
मैने हमेशा रही सोचा कि दो बहना हैं, जिनके मन में ममता कुछ कम है
पर अपने मन में पयार और समरपण और क्षमा की मात्रा इतनी बढा ली
कि बडपपन सहज ईशवर नें जागृत कर दिया
बडपपन का उमर से कोई ताललुक नही
तुम खुद ही देख लो
तुम यहां सभी से जयादा वरिषठ हो यही कहती हो ना
पर आचरण में वर्षा, गायत्री जी, पायल में तुमसे जयादा सत्री सममान के प्रति वचनबदधता है
और तुम देखना ये तीनों चाहे जो भी कर पाऐ जीवन में
ये हमेशा भगवान को प्रिय रहेंगी ।
तुम प्रभात मिश्रा दवारा मेरा अपमान होते देख
चुपचाप वहीँ बैठकर देखती रही, पर विरोध नहीँ किया
इस करम के बहुत अचछे अंक मिले हैं तुमहे
तुमहारी पहली औलाद के रूप मे फलित होंगे
रूचि,
मैने बचपन से यह नहीँ सोचा कि मेरी दो बडी बहने हैं
कुछ महाकाल की कृपा है कि पाँच साल की उम्र से
जैसा चाहे अपने दृषटिकोण को बदल सकती हूं
मैने हमेशा रही सोचा कि दो बहना हैं, जिनके मन में ममता कुछ कम है
पर अपने मन में पयार और समरपण और क्षमा की मात्रा इतनी बढा ली
कि बडपपन सहज ईशवर नें जागृत कर दिया
बडपपन का उमर से कोई ताललुक नही
तुम खुद ही देख लो
तुम यहां सभी से जयादा वरिषठ हो यही कहती हो ना
पर आचरण में वर्षा, गायत्री जी, पायल में तुमसे जयादा सत्री सममान के प्रति वचनबदधता है
और तुम देखना ये तीनों चाहे जो भी कर पाऐ जीवन में
ये हमेशा भगवान को प्रिय रहेंगी ।
तुम प्रभात मिश्रा दवारा मेरा अपमान होते देख
चुपचाप वहीँ बैठकर देखती रही, पर विरोध नहीँ किया
इस करम के बहुत अचछे अंक मिले हैं तुमहे
तुमहारी पहली औलाद के रूप मे फलित होंगे
3. तुमने कहा कि आपका पति तो आपको छोड ही चुका है
पहली बात तो यह है कि वो मेरा पति होने से जयादा बचपन का मित्र है
और अभी तक हमारे अलग हो जाने को भगवान की स्वीकृति नहीं मिली है
जो रिश्ते शारीरिक संबंधो की बुनियाद पर बनते है
वो प्रायः संबंध ना बन पाने पर टूट जाते हैं
पो जो एक दूसरे की फिक्र पर बने हो वो दूर रहने पर भी बने रहते हैं
किसी को अपने पल्लू से बाँधकर रखने नहीं निकली हूँ मैं
किसी के मन में बसने की इच्छा थी, सो काशीविशवनाथ नें पूरी कर दी
2003मे जब मेरे मुझे शादी के लिए प्रस्ताव दिया गया
तो मैने कठोर शब्दो में समझाया था कि मैं तुम्हारे परिवार के लिए सही चुनाव नहीं हूँ
कुछ ईशवर की कृपा है कि जो मैं कहती हूँ वही बात लोग दस पन्द्रह साल बाद
समझ पाते है
फिर वही बात मुझ ही को समझाने के लिए अदालत तक ले जाते हैं
कैसी विडम्बना है
पर मित्र भी है, इसलिऐ साथ तो देना होगा
मेरी सास सब कुछ try कर चुकी मेरा तलाक करवाने के लिऐ
तुम्हारा मुह बोला भाई या पति जो भी है नवीन पाण्डेय तीन साल में हर तरह का छल करने का प्रयास कर चुका
पर अभी बडी कोर्ट से मंजूरी नहीं मिली इन अकल के दुश्मनों को
जिसको जब तक हमारी जीवन यात्रा में आगे बढाने का योगदान करना है
तब तक तो कोई अलग नहीं कर सकता
बाकी ना रिशता शादी से शुरू हुआ था
ना एक कागज पर sign करने से खतम होगा
तुम्हे समय लगेगा मेरी बात समझने में
पर अपने अभिमान को कुछ देर खुद से अलग करके समझोगी तो काम जल्दी होगा
पहली बात तो यह है कि वो मेरा पति होने से जयादा बचपन का मित्र है
और अभी तक हमारे अलग हो जाने को भगवान की स्वीकृति नहीं मिली है
जो रिश्ते शारीरिक संबंधो की बुनियाद पर बनते है
वो प्रायः संबंध ना बन पाने पर टूट जाते हैं
पो जो एक दूसरे की फिक्र पर बने हो वो दूर रहने पर भी बने रहते हैं
किसी को अपने पल्लू से बाँधकर रखने नहीं निकली हूँ मैं
किसी के मन में बसने की इच्छा थी, सो काशीविशवनाथ नें पूरी कर दी
2003मे जब मेरे मुझे शादी के लिए प्रस्ताव दिया गया
तो मैने कठोर शब्दो में समझाया था कि मैं तुम्हारे परिवार के लिए सही चुनाव नहीं हूँ
कुछ ईशवर की कृपा है कि जो मैं कहती हूँ वही बात लोग दस पन्द्रह साल बाद
समझ पाते है
फिर वही बात मुझ ही को समझाने के लिए अदालत तक ले जाते हैं
कैसी विडम्बना है
पर मित्र भी है, इसलिऐ साथ तो देना होगा
मेरी सास सब कुछ try कर चुकी मेरा तलाक करवाने के लिऐ
तुम्हारा मुह बोला भाई या पति जो भी है नवीन पाण्डेय तीन साल में हर तरह का छल करने का प्रयास कर चुका
पर अभी बडी कोर्ट से मंजूरी नहीं मिली इन अकल के दुश्मनों को
जिसको जब तक हमारी जीवन यात्रा में आगे बढाने का योगदान करना है
तब तक तो कोई अलग नहीं कर सकता
बाकी ना रिशता शादी से शुरू हुआ था
ना एक कागज पर sign करने से खतम होगा
तुम्हे समय लगेगा मेरी बात समझने में
पर अपने अभिमान को कुछ देर खुद से अलग करके समझोगी तो काम जल्दी होगा
4. तुमने कहा कि आपको किसी का स्नेह सम्मान नहीं मिलेगा, आपको पैतृक सम्पत्ति भी नहीं मिलेगी
हो सकता है मेरे घर में औपचारिकता से भरे आडम्बर ना सिखाएं गए हो
पर इस घर पर कृपा है कुछ भगवान की कि सभी सक्षम हैं
और जो सक्षम नहीं भी हैं, वो भी पैसे और जमीन से जयादा एक दूसरे से जुडे हैं
किसी भी तरह के छल कपट या किसी का हक मारने जैसी चीजों से कोसों दूर
यह सम्मान और सहयोग असली पैतृक सम्पत्ति है
और यह भगवान की कृपा से मुझे पूर्ण रूप से प्राप्त है
इसका मूल्य मेरी भौतिक 2 करोड की सम्पत्ति से कहीं अधिक कीमती है
क्या इस काल में इतना बहुत नहीं कि यहां किसी को एक दूसरे के एक रूपये में भी कोई दिलचस्पी नहीं
जो कोई कुछ ज्यादा समय ले रहा है settle होने में उसे भी
सबसे प्यार इतना है कि सब मिलकर उसे उठा देंगे
मुझे कोई अफसोस नहीं कि मैंऐसे संसकारो के परिवार में जनमी हूँ
मेरे दादा और पापा ने जो अचछे काम किऐ वो हमे हर पल बचाते हैं
ये अचछे लोगों का घर है रूचि, जहां मृतयुतुलय कष्ट देने वाले को भी क्षमादान मिलता है
बस इस परिवार की नीव नवीन जैसों की बुरी नजर से बची रहे
पहला ऐसा आदमी देखा जिसका पूरव जनमी में दीमक से गहरा रिशता होगा
ईशवर हर घर की सुख समृद्धि को बचाए इस आदमी की असंतुष्ट आत्मा से
इस घर में वही लोग आते हैं
रूचि छल से किसी से दो लाख रूपये प्राप्त करके संतुष्ट होने मे कोई प्राप्ति नहीं समझती मैं
यह ऐसा ही हुआ कि जैसे सामने कोहिनूर हीरा पडा हो और कोई जरकन के हार पाकर खुश होता हो
हो सकता है मेरे घर में औपचारिकता से भरे आडम्बर ना सिखाएं गए हो
पर इस घर पर कृपा है कुछ भगवान की कि सभी सक्षम हैं
और जो सक्षम नहीं भी हैं, वो भी पैसे और जमीन से जयादा एक दूसरे से जुडे हैं
किसी भी तरह के छल कपट या किसी का हक मारने जैसी चीजों से कोसों दूर
यह सम्मान और सहयोग असली पैतृक सम्पत्ति है
और यह भगवान की कृपा से मुझे पूर्ण रूप से प्राप्त है
इसका मूल्य मेरी भौतिक 2 करोड की सम्पत्ति से कहीं अधिक कीमती है
क्या इस काल में इतना बहुत नहीं कि यहां किसी को एक दूसरे के एक रूपये में भी कोई दिलचस्पी नहीं
जो कोई कुछ ज्यादा समय ले रहा है settle होने में उसे भी
सबसे प्यार इतना है कि सब मिलकर उसे उठा देंगे
मुझे कोई अफसोस नहीं कि मैंऐसे संसकारो के परिवार में जनमी हूँ
मेरे दादा और पापा ने जो अचछे काम किऐ वो हमे हर पल बचाते हैं
ये अचछे लोगों का घर है रूचि, जहां मृतयुतुलय कष्ट देने वाले को भी क्षमादान मिलता है
बस इस परिवार की नीव नवीन जैसों की बुरी नजर से बची रहे
पहला ऐसा आदमी देखा जिसका पूरव जनमी में दीमक से गहरा रिशता होगा
ईशवर हर घर की सुख समृद्धि को बचाए इस आदमी की असंतुष्ट आत्मा से
इस घर में वही लोग आते हैं
रूचि छल से किसी से दो लाख रूपये प्राप्त करके संतुष्ट होने मे कोई प्राप्ति नहीं समझती मैं
यह ऐसा ही हुआ कि जैसे सामने कोहिनूर हीरा पडा हो और कोई जरकन के हार पाकर खुश होता हो
5. तुमने इतना कहने का भी साहस कर लिया कि भविष्य में मेरी बेटी भी मुझे धोखा देगी
मेरी बेटी मेरी पूरव जनमो की माँ रही होगी
जिसने मेरे जीवन में आकर मुझे नरक से दूर कर दिया
वह मेरे ही घर में जनमी क्योकि वह अपनी यात्रा यहाँ सहजता से पूरा कर सकती है
जब तक मैं जीवित हूँ, जब जब जिस जिस lessonकी उसे आवश्यकता होगी
सभी उसको guide करेंगे,
मैं उसकी माँ भी हूँ
मित्र भी
Trainer भी
कितनी भी विपरीत परिस्थिति में
अपना मन कैसे उन प्रभावों से दूर रखते हुऐ अपना काम करते जाना है
यह सीख रही है।हर अनुभव उसके व्यक्तितव में एक शक्ति जागृत करने
का अवसर मात्र होता है यह सीख रही है
और बहुत सकारात्मकता से सीख रही है
मेरी बेटी मेरी पूरव जनमो की माँ रही होगी
जिसने मेरे जीवन में आकर मुझे नरक से दूर कर दिया
वह मेरे ही घर में जनमी क्योकि वह अपनी यात्रा यहाँ सहजता से पूरा कर सकती है
जब तक मैं जीवित हूँ, जब जब जिस जिस lessonकी उसे आवश्यकता होगी
सभी उसको guide करेंगे,
मैं उसकी माँ भी हूँ
मित्र भी
Trainer भी
कितनी भी विपरीत परिस्थिति में
अपना मन कैसे उन प्रभावों से दूर रखते हुऐ अपना काम करते जाना है
यह सीख रही है।हर अनुभव उसके व्यक्तितव में एक शक्ति जागृत करने
का अवसर मात्र होता है यह सीख रही है
और बहुत सकारात्मकता से सीख रही है
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रूचि,
ईशवर ने बचपन से आज के दिन के लिए अभ्यास ही ऐसा करवाया कि
ज्यादा दिखावटी प्यार ममता की अपेक्षा बन ही नहीं पाई
इतना जरूर है, जहां संभव हुआ
वहां दूसरो के जीवन में अपने जीवन जैसी कमी देखी
तो हमेशा वात्सल्य और स्नेह देने का हर संभव प्रयास किया
दूसरी बात,
हमने अपनी माँ को अपनी माँ की हर कटाक्ष सुनकर भी सेवा करते हुऐ देखा
तो स्नेह के लेनदेन से ऊपर बस इतना पता है कि चाहे वो नवीन और ब्रह्मदत्त जैसे कुत्तो
के कि हुऐ प्रयोगों के प्रभाव में जो भी कह कर रही हों
पर इनका साथ देने का अपने मरते हुऐ पिता को दिया हुआ वचन तो निभाना ही है
कुछ बातो में चुनाव की संभावना कम होती है
निर्वहन की ज्यादा
तुम 10-5 लोगों के सामने पाई झूठी प्रतिष्ठा के हिडोलो से जिस दिन बाहर आओगी
संभवतः 10 साल के बाद अनुपमा को समझ सको
और यह समझ सको कि नवीन ने मुझमें क्या देखा था जो
मेरी ओर मन से आज भी दो आतमाओ का लगाव है,
मैं उसे पहचानती हूँ, तुम सिर्फ उसके समक्ष रहती हो